सम्राट् चन्द्रगुप्त मौर्य एक बहुत ही देशप्रेमी और जनप्रिय राजा थे | वे हमेशा अपने गुरु
चाणक्य के आदेशो का पालन करते थे| चन्द्रगुप्त का बचपन बहौत अच्छा नहीं था
पर गुरु चाणक्य ने उनके अंदर एक अच्छे राजा के गुण देखे जो ,उनको चाहिये था
उस समय मगध पे घनानन्द का शासन था | जो की बस वेश्यावृत्ति और मदिरा पान मे किसी की कोइ बात नहीं सुनता था |
तभी आचार्य चाणक्य ने उसे हटाने का निर्णय लिया कि वो घनानद जेसे अत्याचारी राजा को अपस्दथ करके ही एक अच्छा राजा गददी पे बैठाना चाहते थे | जो उन्होने कर दिया
और भारत की बागडोर अपने शिष्य चन्द्रगुप्त के हाथो मे दे दी
उसने मकदुनिया के शासक सिकन्दर को भी और उसके सेनापति सेलुकस निकेटर को पराजित कर दिया |
चन्द्रगुप्त ने समूचे भारत वर्ष को एकता और अखण्डता मे बांध दिया